शुक्रवार 28 नवंबर 2025 - 09:16
शरई अहकाम | रद्दे मज़ालिम की नियत से सदक़ा

हौज़ा / आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने रद्दे मज़ालिम (संभावित अन्याय को रोकने) के लिए सदक़ा देने की सही नियत के बारे में एक सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,  इस्लामिक समाज में जहाँ धार्मिक कानून व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार का ढांचा तय करते हैं, वही अन्याय को दूर करने का मुद्दा खास तौर पर ज़रूरी है। कई ज़िम्मेदार लोगों के सामने हमेशा यह सवाल रहता है कि दूसरों के उन अनजान अधिकारों की भरपाई कैसे की जाए जिनका उन्होंने अनजाने में उल्लंघन किया हो। यह चिंता, जो संपत्ति की पवित्रता और शक से बचने के बारे में अल्लाह की सख्त सलाह पर आधारित है, के लिए एक साफ़ और प्रैक्टिकल जवाब की ज़रूरत है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा खामेनेई ने इस विषय पर एक सवाल का जवाब दिया है, जिसे हम उन लोगों के लिए बयान कर रहे है जो इसमें दिलचस्पी रखते हैं।

सवाल: हमारा इरादा यह हैं कि जब भी हम सदक़ा दें, तो रद्दे मज़ालिम के लिए हो, अगर हमारी गरद पर कोई ऐसा हक़ है जो हमें याद नहीं है, उसकी भरपाई हो सके। क्या ऐसा इरादा सही है?

जवाब: अगर आप ऊपर बताए गए इरादे से गरीबों को पैसा देते हैं, तो यह सही है।

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